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लेखनी कहानी -17-Oct-2022 भाई दूज (भाग 7)


      शीर्षक  :- भाई दूज
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    सौनू की दादी सौनू को समझाते हुए बोली," बेटा गोवर्धन पूजा के दूसरे दिन भाई दूज का त्यौहार होता है इस दिन बहिने अपने भाईयौ का तिलक करती है और भाई उनकी रक्षा करने का बायदा करते है।इस तरह भाई दूज के इस त्यौहार का भी हमारे सनातन धर्म में बहुत महत्व है।


         भाई दूज पर महिलाएं अपने भाई को तिलक कर उनकी लंबी उम्र की कामना करेंगी। इस दिन भाई अपनी बहन के घर तिलक करवाने जाते हैं। भाई अपनी बहन की रक्षा का वादा करते हुए उन्हें तोहफा देते हैं। 

                भगवान सूर्य नारायण की पत्नी का नाम छाया था। उनकी कोख से यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ था। यमुना यमराज से बड़ा स्नेह करती थी। वह उससे बराबर निवेदन करती कि इष्ट मित्रों सहित उसके घर आकर भोजन करो। अपने कार्य में व्यस्त यमराज बात को टालता रहा। कार्तिक शुक्ला का दिन आया। यमुना ने उस दिन फिर यमराज को भोजन के लिए निमंत्रण देकर, उसे अपने घर आने के लिए वचनबद्ध कर लिया।


यमराज ने सोचा कि मैं तो प्राणों को हरने वाला हूं। मुझे कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता। बहन जिस सद्भावना से मुझे बुला रही है, उसका पालन करना मेरा धर्म है। बहन के घर आते समय यमराज ने नरक निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया। यमराज को अपने घर आया देखकर यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसने स्नान कर पूजन करके व्यंजन परोसकर भोजन कराया। यमुना द्वारा किए गए आतिथ्य से यमराज ने प्रसन्न होकर बहन को वर मांगने का आदेश दिया।

यमुना ने कहा कि भद्र! आप प्रति वर्ष इसी दिन मेरे घर आया करो। मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई को आदर सत्कार करके टीका करें, उसे तुम्हारा भय न रहे। यमराज ने तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य वस्त्राभूषण देकर यमलोक की राह की। इसी दिन से पर्व की परम्परा बनी। ऐसी मान्यता है कि जो आतिथ्य स्वीकार करते हैं, उन्हें यम का भय नहीं रहता। इसीलिए भैयादूज को यमराज तथा यमुना का पूजन किया जाता है।

   इस तरह से दीपावली का यह पंच दिवसीय त्यौहार धन त्रयोदशी से शुरू होता हैऔर भाई दूज पर समाप्त होता है। इसमे क्रमशः धन त्रयोदशी रूप चतुर्दशी दीपावली गोवर्धन पूजा और भाई दूज  लगातार मनाये जाते है

     इस बर्ष 2022 में अमावस्या के दिन सूर्य ग्रहण होने के कारण दीपावली चतुर्दशी को मनारहे है ं। क्यौकि अमावस्या के दिन सुबह चार बजकर 28 मिनट से सूतंगै लगजाने के कारण सभी तरह की पूजा पाठ वर्जित रहेंगे। 

       इन पांचौ त्यौहारौ पर हमारे घरौ  में प्रतिदिन पकवान बनाये जाते है। तरह तरह की मिठाईयां भी बनाई जाती है। इन त्यौहारौ पर बच्चे बहुत खुश होते हैं। बच्चौ की टोलियां घूंम घूंम कर पटाखे चलाना फुलझरी चलाना और भी अनेक प्रकार के पटाखे चलाते हैं।

     हमें अपने बच्चौ पर नजर रखना भी बहुत आवश्यक है क्यौकि इन पटाखौ से नुकसान होने का डर रहता है। अतः बच्चौ को अकेले पटाखे  नहीं चलाने देने चाहिए।

30 Days Festival Competition  हेतु रचना।

नरेश शर्मा " पचौरी "

23/10/2022






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6 Comments

Alka jain

13-Nov-2022 10:32 AM

Nice

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Sandhya Prakash

05-Nov-2022 11:58 PM

गुड मेसेज,,, पटाखे वाकई हर तरह से नुकसादेह हैं। प्रकृति के लिए भी, ह्युमन के लिए भी

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Pratikhya Priyadarshini

27-Oct-2022 10:18 AM

Bahut khoob 💐👍

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